उत्तराखंड

प्रधानाचार्य एसोशियेशन भी उतरी प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती के विरोध में,शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति के अधिकारों का हनन है सीधी भर्ती


देहरादून।  राजकीय इंटर कॉलेज का सौडा सरोली में सुरेंद्र सिंह बिष्ट अध्यक्ष राजकीय प्रधानाचार्य एसोसियेशन की अध्यक्षता में एक आवश्यक बैठक संपन्न हुई,जिसमें प्रधानाचार्य के रिक्त पदों पर होने वाली सीधी भर्ती का पुरजोर विरोध किया गया एवं निम्नलिखित प्रस्ताव पास किए गए। 

1. राजकीय प्रधानाचार्य संगठन उत्तराखंड प्रदेश में सीधी भर्ती के माध्यम से प्रधानाचार्य के पद पर 50% होने वाली परीक्षा का विरोध करता है । प्रधानाचार्य एसोसियेशन द्वारा विगत 5 वर्षों से शासन स्तर पर एवं विभागीय स्तर पर शिक्षा विभाग उच्च अधिकारियों को निरंतर सीधी भर्ती के विरोध स्वरूप ज्ञापन देता रहा है ।  क्योंकि प्रधानाचार्य संगठन का मंतव्य है कि यह सीधी भर्ती की प्रक्रिया नियम विरुद्ध है और शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति के अधिकारों का हनन है । 

 

2. वर्ष 2006 को आधार मानते हुए उत्तराखंड शिक्षा विभाग में दो संवर्ग बनाए गए जिसमें प्रशासनिक संपर्क एवं शैक्षिक संवर्ग के आवंटन के शासनादेश अनुसार(14 जून 2011 के आधार पर) वर्णित है कि 01.01.2006 से पूर्व कार्यरत प्रधानाचार्य का शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग लेने का अधिकार दिया गया जिसमें 01.01. 2006 के पूर्व कार्यरत प्रधानाचार्य स्वत :ही शैक्षिक संवर्ग के माने जाएंगे यह शासनादेश में व्यवस्था की गई है ।

 

 

3. उक्त के संदर्भ में संगठन का यह कहना था कि यदि संपर्क आवंटन का शासनादेश 14 जून 2011 को प्रक्षेपित की गई तो 14 जून 2011 तक के प्रधानाचार्य को शैक्षिक संवर्ग अथवा प्रशासनिक संवर्ग का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए था इस प्रकार से यह शासनादेश पूर्ण रूप से भ्रमित शिक्षक एवं प्रधानाचार्य के हितों की अनदेखी करते हुए न्याय संगत नहीं बनाया गया है।

 

 

4. 14 जून 2011 के शासनादेश में शैक्षिक संवर्ग में प्रधानाध्यापक/ प्रधानाचार्य से नियुक्ति की प्रक्रिया वरिष्ठ के आधार पर पदोन्नति से शत प्रतिशत प्रधानाचार्य पदों को पद स्थापित करने की व्यवस्था की गई है ।

 

5. प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य सेवन नियमावली 2006 में शत प्रतिशत पदोन्नति भरे जाने से लेकर नियमनवाली में वन टाइम छूट की व्यवस्था की गई , जिसे प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य बिना समय निर्धारित किए पदोन्नति की व्यवस्था छात्र हित में दी गई थी, इस प्रक्रिया से भी विभाग रिक्त पड़े प्रधानाचार्य के पदों को वन टाइम छूट के तहत पदोन्नति कर सकता था किंतु विभाग द्वारा वन टाइम छूट को सदैव नजरअंदाज करता रहा ।

 

6. संगठन द्वारा निरंतर शैक्षिक संवर्ग के प्रधानाचार्य से ऊपर कोई भी पदोन्नति प्रोन्नत वेतनमान/ चैन वेतनमान ना मिलने के फल स्वरुप संगठन द्वारा निरंतर शासन एवं विभागीय स्तर पर अकादमिक संस्थानों में पदोन्नति करने संबंधी निवेदन निरंतर करता रहा है जिस पर कोई भी संज्ञान शासन स्तर पर नहीं लिया गया ।

 

7. पूर्व की सेवा नियमावली में वन टाइम सेटलमेंट की व्यवस्था को हटाने से प्रधानाध्यापक से प्रधानाचार्य में 50% पदोन्नति में भी अधिक समय व्यतीत होगा और प्रधानाध्यापक बिना पदोन्नति के सेवानिवृत हो जाएंगे इसलिए प्रधानाचार्य संगठन नई नियमावली का विरोध करता है ।

8. 2006 की सेवा नियमावली को परिवर्तित करने से पूर्व प्रधानाचार्य संगठन को लागू होने वाला नई सेवा नियमावली से अवगत नहीं कराया गया जो न्याय संगत एवं प्रधान।चार्य/ प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों के हित में नहीं है । कोई भी सेवा नियमावली यदि तैयार की जाती है तो उसे प्रख्यापित करने से पूर्व संगठन के पदाधिकारी को इस आशय से अवलोकिता कराया जाता है कि इससे किसी का अहित तो नहीं हो रहा है उक्त प्रकरण में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है।

 

9. यदि सरकार व विभाग की मंशा छात्र हित में शत प्रतिशत पदों को भरने की है तो प्रशासनिक संवर्ग में भी वर्तमान समय में बहुत शिक्षा अधिकारियों के पद रिक्त हैं जैसे अपर निदेशक/ संयुक्त निदेशक/ उपनिदेशक /खंड शिक्षा अधिकारी आदि पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से क्यों नहीं भरती की जाती है l नई सेवा नियमावली स्पष्ट प्रधानाध्यापक /प्रधानाचार्य/ शिक्षकों के बिल्कुल अहित में है राजकीय प्रधानाचार्य संगठन इसका पूर्ण जोर विरोध करता है एवं सरकार से मांग करता है कि पूर्व सेवा नियमावली ने का यथावत रखते हुए नई सेवा नियमावली के अधियाचन को वापस करने का अनुरोध करता है ।

 

10. जिस प्रकार शिक्षा विभाग के प्रशासनिक संवर्ग की सीधी भर्ती उपखंड शिक्षा अधिकारी से निर्धारित की जाती है और उसके ऊपर के पदों पर नियमावली के तहत वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति की जाती है उसी प्रकार से प्रधानाचार्य से पूर्व का पद प्रधानाध्यापक /प्रधानाध्यापिका के पद पर 50% सीधी भर्ती से भरने की व्यवस्था की जा सकती है, जो सभी के लिए मान्य हो सकता है.।

उक्त बैठक में  रामबाबू महामंत्री प्रेमलता बडाई प्रांतीय संयुक्त मंत्री  सेमवाल पूनम राणा राजीव लोचन सुनील जोशी



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