उत्तराखंड

मूल निवास और भू कानून के मांग से भी आगे बढ़ने वाले है उत्तराखंड में एक बड़ी मांग,5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस का मिला दर्जा तो हल हो जाएंगे कई समाधान


देहरादून। उत्तराखंड में एक तरफ जहां सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने की मांग उठी है,और दोनों मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार के द्वारा समितियां का गठन किया गया है,वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड एकता मंच के द्वारा अब इन दोनों मुद्दों का समाधान करने को लेकर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र को 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस लागू करने की मांग की जा रही है। जिसको लेकर उत्तराखंड एकता मंच के द्वारा उत्तराखंडी प्रवासियों के साथ साथ उत्तराखंड के लोगों को 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस लागू होने पर क्या कुछ फायदे उत्तराखंड के लोगों को मिलेंगे,इसके बारे में भी बताया जा रहा है,रविवार को देहरादून में उत्तराखंड एकता मंच ने जहां बुद्धि जीवियों के साथ 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस को लागू करने की मांग पर चर्चा की गई,वहीं हमारी महिला टोली की द्वारा भी देहरादून में भवानी प्रताप सिंह के आवास पर बैठक की गई,जिसमें 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस की मांग पर मंथन किया गया।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि अगर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस को केंद्र सरकार लागू करती है,तो उत्तराखंड में शसक्त भू कानून और मूल निवास की मांग का भी समाधान हो जाएगा,साथ ही परिसीमन की समस्या भी हल हो जाएगी,क्योंकि 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस का दर्जा मिलने से विकास के लिए 5 गुना बजट तो ज्यादा मिलेगा ही,साथ ही उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में कोई भी बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीदेगा अगर कोई बिजनेस के लिए जमीन खरीदता है,तो उसे स्थानीय स्तर पर किसी व्यक्ति के साथ पार्टनर शिप या बांड बिजनेस करने के लिए स्थानीय स्तर पर कोई व्यक्ति तैयार करना होगा,जिससे स्थानीय लोगों को घर बैठे रोजगार भी मिल सकेगा,5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस लागू होने पर मूल निवासी की पहचान से मूल निवास भी मिलेगा,साथ केंद्र की सेवाओं के तहत नौकरी और पढ़ाई में आरक्षण का भी लाभ उत्तराखण्डियों को मिल सकेगा। क्योंकि 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस लागू होने पर उत्तराखंड के चकराता क्षेत्र के लोगों को जो लाभ मिलते है,वह उत्तराखंड के पूरे पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को मिलना शुरू हो जाएगा,जानकर बताते है कि जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था तो पर्वतीय क्षेत्र के नाते 1972 तक 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस का दर्जा मिला हुआ था,लेकिन 1972 में केंद्र सरकार ने इसे छीन लिया। लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस की मांग बड़ी जोर पकड़ने जा रही है, क्योंकि अभी तक उत्तराखंड एकता मंच के द्वारा 70 से ज्यादा बैठकों का आयोजन इसको लेकर किया गया है जबकि कई राजनीतिक दलों का भी समर्थन इस मांग पर उत्तराखंड एकता मंच को हासिल हो चुका है। मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे संगठनों से भी उत्तराखंड एकता मंच की बातचीत 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस को लागू करने की मांग को लेकर चल रही है। भविष्य में इसी मांग को लेकर बड़े जन आंदोलन के तहत चेतन रैली करने पर मंथन चल रहा है।

 

 

 

 

देहरादून में महिला टोली के द्वारा 5th शेड्यूल/ट्राइब स्टेटस का दर्जा दिलाने की मांग पर जो बैठक आयोजित की गई उसमें ज्योति डंगवाल,एकता शर्मा ढोंडियाल, कुसुम कोठारी, दीपा भट्ट,मीना मिश्रा, कांता घिल्डियाल, मंजू उनियाल,राधिका, लक्ष्मी बिष्ट, ऋषि पंत, पूनम डंगवाल,नीरज डंगवाल,सौरभ उनियाल,भारत भूषण, विजय ढौंडियाल, महिपाल सिंह, गिरिराज सिंह, योगेश्वर सिंह बिष्ट,राकेश पंथारी, अनूप सिंह, महिपाल सिंह,महेंद्र रावत, गिरिराज सिंह, दीपक मिश्रा,आदि भवानी प्रताप सिंह के आवास पर हुई बैठक में मौजूद रहे।



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