Monday, April 21, 2025
उत्तराखंड

विधायकों के सवाल पर फंसे कृषि मंत्री,अपने जवाब को ठहराया सही


देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में बजट सत्र की कार्रवाई के दौरान शुक्रवार का दिन इतिहास के पन्नों में कृषि मंत्री गणेश जोशी से पूछे गए एक सवाल के लिए हमेशा याद किया जाएगा, दरअसल विधानसभा में प्रश्न काल के दौरान प्राकृतिक खेती को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक बृजभूषण गैरोला के द्वारा सवाल किया गया था जिस पर कांग्रेस विधायक वीरेंद्र जाति के द्वारा क्रॉस सवाल किया गया और कृषि मंत्री से प्राकृतिक खेती की परिभाषा को पूछा गया, प्राकृतिक खेती की परिभाषा को जब कृषि मंत्री गणेश जोशी बताने लगे तो फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई विधायकों ने ही उनके जवाब पर सवाल खड़ी कर दिए करीब 25 मिनट तक गणेश जोशी प्राकृतिक खेती की परिभाषा समझते रहे,लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक उनकी परिभाषा से संतुष्ट नजर नहीं आए ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं, कि क्या उत्तराखंड के कृषि मंत्री को वास्तव में प्राकृतिक खेती की परिभाषा उस हिसाब से नहीं आती,जिससे वह विपक्ष और सत्ता पक्ष की विधायकों को संतुष्ट कर पाते। मामला जब प्राकृतिक खेती की परिभाषा को समझने में बिगड़ा तो विधानसभा अध्यक्ष ने सवाल को ही स्थगित कर दिया। हालांकि कृषि मंत्री गणेश जोशी सदन में दिए गए अपने जवाब को अभी भी सही बता रहे हैं और कह रहे हैं कि किसी भी कृषि वैज्ञानिक से वह प्राकृतिक खेती की परिभाषा पूछ सकते हैं। जहां तक कांग्रेस विधायक वीरेंद्र जाती का सवाल है तो वह भी बता सकते हैं कि प्राकृतिक खेती की क्या परिभाषा होती है और उसमें कौन सी फैसले आती है।

वीरेंद्र जाती का बयान

 कांग्रेस विधायक वीरेंद्र जाती का कृषि मंत्री गणेश जोशी की प्राकृतिक खेती के ज्ञान पर फिर सवाल खड़ा किया गया है, और वीरेंद्र जाति का कहना है कि कृषि मंत्री तो गलत परिभाषित प्राकृतिक खेती की कर ही रहे थे, उनके अधिकारी भी उन्हें सही परिभाषा नहीं बता पाए, जहां तक प्राकृतिक खेती की परिभाषा की बात है तो कृषि मंत्री होने के नाते उन्हें यह पता होना चाहिए कि प्राकृतिक खेती क्या होती है और उसमें कौन-कौन सी खेती होती है।

 

विधानसभा अध्यक्ष ने किया था सवाल स्थगित

 कृषि मंत्री गणेश जोशी के द्वारा विधानसभा में प्राकृतिक कृषि को लेकर सही जवाब देने पर विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा सवाल को स्थगित कर दिया गया जिस पर विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी का भी कहना है कि कृषि मंत्री को पर्याप्त समय दिया गया लेकिन जब वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए तो फिर उनके द्वारा सवाल को स्थगित कर दिया गया।

 



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